Thursday, November 28, 2024

श्री शिवरीनारायण धाम जैसे तीर्थ में कथा का महत्व और भी बढ़ जाता है- रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी

श्री रामचरितमानस भव रोग की एकमात्र ऐसी औषधि है जिसे सुनने मात्र से सभी रोग समाप्त हो जाते हैं



अवधपुरी से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने त्रिवेणी संगम के पावन तट पर युग युगांतर से विराजित भगवान शिवरीनारायण की पावन धारा में श्री शिवरीनारायण मठ महोत्सव में उपस्थित श्रोताओं को श्री रामचरित मानस की कथा का रसपान कराते हुए अभिव्यक्त किया कि- यह हम सभी का परम सौभाग्य है कि भक्ति मति माता शबरी की पावन धारा में कथा कहने और सुनने का सौभाग्य मिला है। भगवान की कथा परम पवित्र है। *गंगा जी तीनों लोक को पवित्र करती है लेकिन जब यही गंगा संयोग से हरिद्वार, काशी या प्रयागराज को स्पर्श करती है तब इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है, वैसे ही भगवान की कथा अपने आप में परम पवित्र तो है लेकिन शिवरीनारायण जैसे तीर्थ स्थान को प्राप्त कर उसकी महत्ता और भी अनंत गुनी बढ़ जाती है।* यहां कथा कहने और सुनने का आनंद ही कुछ और है। उन्होंने कहा कि *किसी भी जीव में इतनी पात्रता नहीं है कि वह अपने प्रयत्न से मानव शरीर को प्राप्त कर सके।* यह भगवान की करुणा का प्रतिफल है कि हमें मनुष्य का तन प्राप्त हुआ है। मानव जीवन प्राप्त करने का परम लाभ यह है कि हम इस शरीर से ईश्वर को प्राप्त कर लें! अन्यथा मानव का जीवन प्राप्त करना व्यर्थ ही चला जाएगा। ईश्वर को प्राप्त करने के अनेक साधन है लेकिन भक्ति से बढ़कर कोई सरल साधन नहीं है। यहां भक्ति की अविरल धारा अपने आप प्रवाहित हो रही है। श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है कि -प्रथम भगति संतन कर संगा, दूसर रति मम् कथा प्रसंगा।। यह दोनों ही बहुत आसानी से इस स्थान पर आप सभी को सुलभ हो गया है। *संसार की औषधि को खाना पड़ता है, पीना पड़ता है या इंजेक्शन के रूप में लगाना पड़ता है लेकिन रामचरितमानस भव रोग की एकमात्र ऐसी औषधि है जिसे सुनने मात्र से सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।* मुझे पूरा विश्वास है जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति पूर्वक श्री रामचरितमानस रूपी कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर इसका श्रवण करेंगे उनके लौकिक और पारलौकिक कामनाएं पूर्ण हो जायेगी। हिरण्यकश्यप ने भगवान को सर्वत्र खोजा भगवान उन्हें कहीं नहीं मिले। नारद जी ने भगवान से पूछा आप कहां छिपे थे ? भगवान ने कहा मैं उसके हृदय में बैठा हुआ था। *अहंकारी व्यक्ति भगवान को संसार में सर्वत्र ढूंढता है अपने हृदय में कभी नहीं ढूंढता।* शिवरीनारायण मठ में संगीतमय श्री राम कथा के शुभारंभ के अवसर पर ही लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे, प्रथम सत्र की समाप्ति के पश्चात महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने सभी श्रद्धालु भक्तों को आग्रह किया कि आप सभी भगवान जगन्नाथ जी का भोजन प्रसाद इसी पंडाल के नीचे प्राप्त करें।कथा का समय प्रत्येक दिन सुबह 9:00 से दोपहर 12:00 बजे तथा अपराह्न 3:00 से शाम 6:00 बजे निर्धारित है। कथा श्री शिवरीनारायण मठ में हर वर्ष की तरह आयोजित किया गया है।

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