Sunday, June 23, 2024

NEWS ON आकाशीय बिजली (तड़ित) एक प्राकृतिक आपदा के खतरे के प्रति वैज्ञानिक सतर्कता एवं जागरूकता By Dr. C.S. Khare

कृपया कृषक जनहित में प्रकाशित एवं प्रसारित करने की कृपा करेंगे.आकाशीय बिजली (तड़ित) एक प्राकृतिक आपदा के खतरे के प्रति वैज्ञानिक सतर्कता एवं जागरूकता



--::लेखक एवं संपादक::-- 

1. डा.चंद्रशेखर खरे, 2. जितेंद्र कुमार खरे, 3. धर्मेंद्र कुमार खरे

1. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, प्रक्षेत्र प्रबंधक (शस्य विज्ञान),कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर 

कृषक वैज्ञानिक सलाहकार, कैरियर मार्गदर्शक, संयुक्त जन जागरूकता अभियान, पामगढ़

2. प्रक्षेत्र विस्तार अधिकारी, कृषि महा. एवं अनु.केंद्र, जांजगीर 

3. निदेशक एवं प्रमुख,संयुक्त जन जागरूकता अभियान, पामगढ़, शक्ति,(मुनूंद)जांजगीर 

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आकाशीय बिजली एक ऐसी घटना है, जिसने इंसानों के दिलो-दिमाग़ को प्रभावितकरने के साथ-साथ भयभीत भी किया है। बिजली आसमान से हर सेकेंड में 50 से 100 बार धरती पर गिरती है। पूरी दुनिया में हर साल 20,000 से अधिक लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आते हैं और बिजली गिरने से हज़ारों लोगों की मौत भी हो जाती है। किसी भी इलाके में बिजली गिरने से होने वाली मौतों में उस इलाके के जनसंख्या घनत्व, साक्षरता दर और शहरीकरण के साथ-साथ तड़ित घनत्व तथा पर्वत-विज्ञान की अहम भूमिका होती है। भारत में हर साल बिजली गिरने से 2000 से अधिक लोगों की मौत होती है। भारत में बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में दर्ज की गई हैं। खास तौर पर, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र में भारत में बिजली गिरने से सर्वाधिक मौतें होती हैं। विद्युत आपूर्ति में बाधा तथा जंगल में आग की घटनाओं के प्रमुख कारणों में आकाशीय बिजली भी शामिल है। इससे संचार एवं कंप्यूटर उपकरणों के साथ-साथ विमान भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।


    भारत के ज़्यादातर हिस्सों में वर्ष भर किसी न किसी समय तड़ित-वृष्टि (आंधी-तूफ़ान और बिजली के साथ तेज़ बारिश) होती है। भारतीय इलाकों में तड़ित-वृष्टि के जलवायु-विज्ञान से पता चलता है कि मानसून से पहले के महीनों में दक्षिण भारत में आंधी-तूफ़ान और बिजली के साथ तेज़ बारिश की घटनाएँ सबसे अधिक होती हैं, जबकि उत्तर भारत की ओर ऐसी घटनाएँ काफी कम होती हैं। दूसरी ओर, मानसून के दौरान उत्तर भारत में आंधी-तूफ़ान और बिजली के साथ तेज़ बारिश की घटनाएँ अधिकतम होती है और इस मौसम में दक्षिण भारत में ऐसी घटनाएँ काफी कम होती हैं। 30 वर्षों (1950-1980) के IMD डेटा की मदद से त्यागी (2007) द्वारा भारतीय इलाकों में तड़ित-वृष्टि के जलवायु-विज्ञान पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि, भारत के उत्तर-पूर्वी भाग, केरल के कुछ हिस्से तथा जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में वार्षिक तड़ित-वृष्टि की आवृत्ति सबसे अधिक है, जहाँ हर साल 80 से अधिक बार तड़ित-वृष्टि की घटनाएँ होती हैं। जबकि छत्तीसगढ़  दक्षिण पश्चिममानसून से प्रभावित होती हैI


आकाशीय बिजली से होने वाली क्षति एवं इसे कम करने के उपाय:


अक्सर लोग तड़ित-वृष्टि के जोखिम को कम करके आंकते हैं तथा निकट आने वाले तूफ़ान से बचाव के लिए जल्दी से उपयुक्त आश्रय की तलाश नहीं करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप लोगों को चोट लगने और मौत की घटनाएँ होती हैं। आकाशीय बिजली से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिए, बिजली गिरने के खतरों से निपटने से संबंधित शैक्षिक कार्यक्रम बेहद ज़रूरी हैं। ग्रामीण इलाकों को लक्षित करते हुए ऐसे कार्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए, जहाँ अक्सर लोग खेतों में काम करते हैं। हालाँकि कोई भी जगह आकाशीय बिजली से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, फिर भी बड़ी, चारों ओर से बंद इमारतें या कार, ट्रक, बस, वैन तथा कृषि वाहन सहित चारों ओर से बंद धातु के वाहन बिजली गिरने के मौसम में शरण लेने के लिए अच्छे विकल्प हैं। भारत में ज़्यादातर खेतों में काम करने वाले लोग ही आसमान से गिरने वाली बिजली की चपेट में आते हैं।

किसी जंगल में:-


निचले इलाके में छोटे और सघन पेड़ों के बीच आश्रय की तलाश करें।


खुले स्थान पर :-


किसी नीची जगह, जैसे कि किसी खोह या गड्ढे अथवा घाटी में शरण लें। अचानक आने वाली बाढ़ से सावधान रहें।


पानी से घिरे स्थान पर :-


जमीन की तरफ जाएँ और तुरंत कोई आश्रय ढूंढें।


अगर बिजली गिर जाए


अगर आप पर या आपके किसी परिचित पर बिजली गिर जाए, तो तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए कॉल करें। बिजली गिरने की चपेट में आने वाले लोगों को सहायता देने का प्रयास करते समय आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:


साँस लेना - -


अगर साँसें थम गई हैं, तो मुँह में फूँक मारकर घायल व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें।


दिल की धड़कन - -


अगर दिल की धड़कन थम गई है, तो सीपीआर दें।


नब्ज- -


अगर पीड़ित की नब्ज चल रही है और वह साँस ले रहा है, तो उसके शरीर के दूसरे हिस्से में संभावित चोटों को देखें। जलने की जाँच करें, जहाँ से बिजली ने शरीर में प्रवेश किया और बाहर निकल गई। इसके अलावा तंत्रिका तंत्र को हुए नुकसान, हड्डियों के टूटने तथा सुनाई कम देने एवं आँखों की रोशनी कम होने के प्रति भी सतर्क रहें।


आँधी-तूफ़ान एवं बिजली के साथ तेज़ बारिश के दौरान क्या करें और क्या न करें


क्या करें


1. अगर आप घर से बाहर हैं, तो बिजली गिरने से बचने के लिए किसी सुरक्षित स्थान पर जाएँ! इमारतें सबसे सुरक्षित स्थान हैं, लेकिन अगर आस-पास कोई इमारत नहीं हो, तो आप किसी गुफा, खाई या घाटी में सुरक्षित रह सकते हैं। पेड़ शरण लेने के लिए अच्छी जगह नहीं हैं! ऊँचे-ऊँचे पेड़ बिजली को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।


2. अगर आपको बचाव के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं मिल रहा है, तो उस इलाके की सबसे ऊँची वस्तुओं से बचें। अगर आपके आस-पास अलग-थलग पेड़ हैं, तो खुली जगह पर अलग-थलग पड़े पेड़ों से दुगनी दूरी पर दुबक के बैठना अपनी सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा तरीका है।


3. घर के अंदर रहें या जाएँ! अगर आपको बिजली की कड़क सुनाई दे, तो जब तक बेहद आवश्यक नहीं हो हो, तब तक बाहर न जाएँ। याद रखें, बिजली की चमक और गड़गड़ाहट के बीच के सेकंड को गिनकर उसे 3 से विभाजित करके, आप बिजली गिरने के स्थान से अपनी दूरी (किमी में) का अनुमान लगा सकते हैं।


4. बिजली की सुचालक चीज़ों से दूर रहें इसमें फायरप्लेस, रेडिएटर, स्टोव, धातु की पाइप, सिंक और फ़ोन शामिल हैं। तड़ित-वृष्टि अधिकतम स्तर पर है।


5. पानी से बाहर निकलें। इसमें पानी पर तैरने वाली छोटी नावों से उतरना भी शामिल है।


6. जब आपको विद्युत आवेश (इलेक्ट्रिक चार्ज) महसूस हो- अगर आपके बाल खड़े हो जाते हैं या आपकी त्वचा में सिहरन होने लगती है, तो बिजली आप पर आ सकती है। तुरंत जमीन पर लेट जाएँ।


क्या नहीं करें


1. हेयर ड्रायर, इलेक्ट्रिक टूथब्रश या इलेक्ट्रिक रेजर जैसे बिजली के प्लग वाले किसी उपकरण का उपयोग न करें। अगर आपके घर पर बिजली गिर जाए, वे आप भी उस आवेश से जुड़ सकते हैं।


2. तूफ़ान के दौरान टेलीफ़ोन का इस्तेमाल न करें। बाहर की टेलीफ़ोन लाइनों पर बिजली गिर सकती है।


3. घर के बाहर धातु की वस्तुओं का प्रयोग न करें।


आसमानी बिजली से सुरक्षा की कुछ विस्तृत युक्तियाँ


1. आसमान से बिजली गिरने के दौरान पिकनिक शेल्टर या शेड के बजाय बड़ी एवं चारों ओर से बंद इमारत सबसे सुरक्षित है। चारों ओर से बंद धातु के वाहन, कार, ट्रक, वैन, इत्यादि दूसरे सबसे सुरक्षित स्थान हैं है; लेकिन कन्वर्टिबल वाहन, बाइक या खुले अथवा कमजोर छत वाले वाहन सुरक्षित नहीं हैं। एक सुरक्षित इमारत वही है जो चारों ओर तथा ऊपर से दीवारों एवं फर्श से घिरा हो, जैसे कि घर, स्कूल, कार्यालय भवन या शॉपिंग सेंटर।


2. मजबूत छत वाली कार, एसयूवी, मिनीवैन, बस, ट्रैक्टर, आदि सुरक्षित वाहन है। {कमजोर छत वाले कन्वर्टिबल वाहन सुरक्षित नहीं हैं)। अगर आप अपने वाहन में शरण लेना चाहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि सभी दरवाजे अच्छी तरह बंद हैं, और खिड़कियाँ भी ऊपर की ओर स्क्रॉल हैं। किसी भी धातु की सतह को न छुएँ।


3. जब आप पहली बार बिजली कड़कने की आवाज सुनते हैं, या सिर के ऊपर काले, ख़तरनाक बादल मंडराते हुए देखते हैं, या बिजली की चमक दिखाई देती है तो किसी सुरक्षित जगह की तलाश करें।


4. ऊँचे-ऊँचे अलग-थलग पड़े पेड़ों के नीचे शरण नहीं लें। हालाँकि पेड़ से आपको सूखा देने में मदद मिल सकती है, लेकिन बिजली गिरने का खतरा काफी बढ़ जाता है। बारिश से आपकी जान को खतरा नहीं है, लेकिन आसमानी बिजली आपकी जान ले सकती है!


5. आंशिक रूप से बंद इमारतों में शरण नहीं लें।


अगर आप किसी सुरक्षित इमारत या वाहन तक नहीं पहुँच पाते हैं, तो उसी स्थिति के लिए यहाँ कुछ अंतिम उपाय दिए गए हैं:या सिर के ऊपर काले, ख़तरनाक बादल मंडराते हुए देखते हैं, या बिजली की चमक दिखाई देती है तो किसी सुरक्षित जगह की तलाश करें।


1. किसी ओवरपास के नीचे तूफ़ान के थमने का इंतज़ार करें। स्टील के गर्डरों को न छुएँ। अपनी बाइक से दूर हट जाएँ। हो सके तो सूखी सतहों पर रहें। ओवरपास इंजीनियरों द्वारा तैयार की गई संरचना होती है, जिनके जमीन पर अच्छी तरह टिके रहने की संभावना है। हालाँकि आसपास के इलाके की तुलना में ओवरपास के अधिक ऊँचे होने की संभावना है, फिर भी अगर यह बिजली की चपेट में आ जाता है तो विद्युत धारा सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित हो जाएगी।


2. किसी पुल की तलाश करें। पानी से दूर रहें। धातु की किसी भी सतह से दूर रहें। अगर आप किसी पुल के नीचे खड़े हैं, तो तेजी से बढ़ते पानी के प्रति सतर्क रहें।


3. हाई टेंशन वायर: अगर उच्च वोल्टेज वाले बिजली के तार सड़क को पार कर रहे हैं, तो आप सीधे इन तारों के नीचे आश्रय लेने की नासोंचें । इन तारों को पकड़ने वाले धातु के बड़े टावरों के बहुत ज़्यादा नज़दीक नहीं जाएँ। इससे कम-से-कम 50 फीट दूर रहें। बिजली कंपनियाँ इन हाई टेंशन तारों को बिजली गिरने की बात को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन करती हैं। इन्हें आसमानी बिजली के इन तारों या टावरों से टकराने की स्थिति में बिजली के करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में गहराई तक जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

4. अत्यधिक गरज चमक बिजली गिरने की संभावना हो और आपको ठहरने का कोई उचित स्थान नही मिल रहा हो,तो अपने घुटनों को जोड़ते हुए तथा कानों मे हाथ रखते हुए खुली जगहों पर ही बैठ जाएँ.  


5. अत्यधिक गरज चमक बिजली गिरने की संभावना हो तब की स्थिति में पेड़ पौधों झाड़ियों में शरण ना लें.

6. दामिनी एप को गूगल प्ले स्टोर से डॉउनलोड करके बिजली वज्रपात वर्षा की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते है साथ ही अपने तथा पालतू जानवरों को आकाशीय बिजली गिरने से बचाव कर सकते है. 

कृषक जनहित,समाजहित मे प्रसारित ...

कृपया आप अपना बहुत ख्याल रखें...

--::लेखक एवं संपादक::-- 

1. डा.चंद्रशेखर खरे, 2. जितेंद्र कुमार खरे, 3. धर्मेंद्र कुमार खरे


1. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, प्रक्षेत्र प्रबंधक (शस्य विज्ञान),कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर 

कृषक वैज्ञानिक सलाहकार, कैरियर मार्गदर्शक, संयुक्त जन जागरूकता अभियान, पामगढ़

8770414150,7410139918

2. प्रक्षेत्र विस्तार अधिकारी, कृषि महा. एवं अनु.केंद्र, जांजगीर 

3. निदेशक एवं प्रमुख,संयुक्त जन जागरूकता अभियान, पामगढ़, शक्ति,(मुनूंद)जांजगीर 

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शुभेच्छुक...

डा.चंद्रशेखर खरे, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

प्रक्षेत्र प्रबंधक (शस्य विज्ञान)

कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर 

कृषक वैज्ञानिक सलाहकार, कैरियर मार्गदर्शक,

संयुक्त जन जागरूकता अभियान, पामगढ़

8770414150,7410139918

धर्मेंद्र कुमार खरे, निदेशक एवं प्रमुख,

संयुक्त जन जागरूकता अभियान, पामगढ़

जितेंद्र कुमार खरे, प्रक्षेत्र विस्तार अधिकारी 

सुमन खरे,वरिष्ट समाज सेविका.

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