Wednesday, November 23, 2022

भागवत कथा सुनने का लाभ यह है कि मोक्ष मुट्ठी में और चित्त में हरि आ जाते हैं -प्रपन्नाचार्य जी महाराज

भागवत कथा सुनने का लाभ यह है कि मोक्ष मुट्ठी में और चित्त में हरि आ जाते हैं -प्रपन्नाचार्य जी महाराज


*जगत की उत्पत्ति परमात्मा से ही हुई है और वह परमात्मा में ही समाहित हो जाता है*


*जो स्वाद फल में होता है वह वृक्ष में नहीं होता*


कलयुग की एक बहुत बड़ी विशेषता है इसमें मानसिक पुण्य तो होता है मानसिक पाप नहीं। रामचरितमानस में लिखा है- मानस पुण्य होहिं नहीं पापा।। इसलिए ज्यादा से ज्यादा अच्छा विचार ही रखें, यह बातें अवधपुरी धाम से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए शिवरीनारायण मठ महोत्सव में अभिव्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कलयुग में पुत्र अपने माता पिता को तभी तक मानते हैं जब तक लुगाई न आ जाए। कलयुग अधर्म का मित्र है जो अधर्म के पथ पर चलते हैं वे थोड़े समय तक फलते फूलते दिखते हैं। इसकी एक विशेषता यह भी है कि लोग अपने उदर पोषण में ही लगे रहते हैं। इतना कमाई करना चाहते हैं कि उनकी 21 पीढ़ियों को पोषण प्राप्त हो जाए इसे ही वे विद्या मान लेते हैं किंतु यह विद्या नहीं है। विद्या तो वह है जिससे ज्ञान मिले,सुत दारा और संपदा पापी के भी होए। यह सब तो पापी को भी प्राप्त हो सकते हैं। हमारे जीवन का मूल लक्ष्य है भगवत भक्ति की प्राप्ति करना। जीवन में किसी भी प्रश्न का उत्तर जानना हो तो उत्तर दिशा की ओर जाना। दक्षिण, पश्चिम, पूर्व में जाने से इसका समाधान नहीं होगा। जो स्वाद फल में प्राप्त होता है वह वृक्ष में नहीं। आम का फल मीठा होता है लेकिन उसके वृक्ष की जड़ चबाने से वह स्वाद नहीं मिलेग! शर्करा की उत्पत्ति गन्ने से होती है किंतु गन्ने से खीर नहीं बनाई जा सकती! ठीक ऐसे ही भागवत की उत्पत्ति यद्यपि वेदों से हुई है लेकिन जो कार्य भागवत कर सकते हैं वह कार्य वेद नहीं कर सकते। बिना भगवत कृपा के सत्संग की प्राप्ति हो ही नहीं सकती- राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। कथा सुनने के लिए कभी भी अकेले नहीं जाना चाहिए। यह बहुत बड़ी विडंबना है कि हम लोग जब पिक्चर देखने जाते हैं या पिकनिक पर जाते हैं तब अपने इष्ट मित्र और परिवार को लेकर जाते हैं लेकिन जब कथा सुनने के लिए जाते हैं तब अकेले चले जाते हैं। भागवत कथा सुनने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे मोक्ष मुट्ठी में और चित्त में हरि आ जाते हैं। यदि किसी ने मनुष्य का जन्म लेकर भागवत की कथा नहीं सुनी तो वह जीते जी मुर्दे के समान है। उन्होंने कहा कि हमें भागवत की कथा उससे सुननी चाहिए जो वैष्णव हो, विप्र हो, शास्त्र का ज्ञानी हो, दृष्टांत देने में समर्थ हो। लोभी, पाखंडी या पथभ्रष्ट लोगों से कथा नहीं सुननी चाहिए। संपूर्ण जगत परमात्मा से उत्पन्न हुआ है और परमात्मा में ही समाहित हो जाता है। दुनिया को बनाने के लिए परमात्मा को किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं होती। कोई सलाहकार या इंजीनियर उन्होंने नहीं रखा- संग सहाय न दूजा।। वह स्वयं निर्माण करता है। ईश्वर की सत्ता से ही जगत की सत्ता है यदि ईश्वर नहीं होता! तो यह जगत भी नहीं होता! मंच पर हमेशा की तरह मुख्य यजमान के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज एवं उनके साथ श्री महन्त सर्वेश्वर दास जी एवं गौ सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री परमात्मा नंद दास जी विराजित थे।


*छत्तीसगढ़ कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष उपस्थित हुए*


कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त छत्तीसगढ़ कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष श्री सुरेंद्र शर्मा जी तथा जांजगीर-चांपा जिला के जिलाधीश श्री तारण प्रकाश सिन्हा जी मठ महोत्सव के द्वितीय दिवस के द्वितीय सत्र में कथा श्रवण के लिए उपस्थित हुए! इनके अलावा कथा श्रवण कर्ताओं में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह, जिला पंचायत के उपाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, शेषराज हरबंस, इंजीनियर रवि पांडे सनत राठौर, विजय पाली, बृजेश केसरवानी, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी पामगढ़ के अध्यक्ष नवल सिंह, श्री सुखराम दास जी, जांजगीर नगर पालिका के अध्यक्ष भगवानदास गढ़ेवाल, नवागढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष प्रीति देवी सिंह, सुबोध शुक्ला, वीरेंद्र तिवारी, पूर्णेन्द तिवारी, दिलीप तिवारी, निरंजन लाल अग्रवाल, कमलेश सिंह, प्रमोद सिंह, पवन सुल्तानिया, ऋषि उपाध्याय, देवा लाल सोनी, गोपाल अग्रवाल, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव के नाम उल्लेखनीय हैं।



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