Tuesday, November 22, 2022

दुनिया का ऐसा कौन वक्ता है? जो भगवान के चरणों में बैठकर उसकी कथा निवेदित करना नहीं चाहेगा -प्रपन्नाचार्य जी महाराज

 दुनिया का ऐसा कौन वक्ता है? जो भगवान के चरणों में बैठकर उसकी कथा निवेदित करना नहीं चाहेगा -प्रपन्नाचार्य जी महाराज

गंगा जी अपने आप में महत्वपूर्ण है लेकिन हरिद्वार, प्रयाग और काशी में उसकी महिमा और भी बढ़ जाती है



शिवरीनारायण मठ मंदिर में 22 नवंबर की सुबह श्रीमद्भागवत महापुराण एवं भव्य सन्त सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। श्रीधाम अयोध्यापुरी से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने सबसे पहले भगवान शिवरीनारायण के दरबार में उपस्थित होकर पूजा अर्चना की एवं रोहणी कुंड का दर्शन किया तत्पश्चात जगदीश मंदिर में दर्शन करते हुए मुख्य मंच पर विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात व्यास मंच पर विराजित हुए। यहां श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि जिनकी कृपा से छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ पुरी भगवान शिवरीनारायण धाम में भगवान की कथा सुनाने का  सुअवसर प्राप्त हुआ है ऐसे वैष्णव कुलभूषण राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज के श्री चरणों में सादर नमन हैं, उन्होंने कहा कि गंगा जी अपने आप में महत्वपूर्ण हैं किंतु हरिद्वार, प्रयाग और काशी में उनकी महिमा और भी बढ़ जाती है ठीक वैसे ही भागवत महापुराण अपने आप में पूर्ण है इसकी कथा हम अपने -अपने घरों में भी बैठकर सुन सकते हैं किंतु ऐसे दिव्य तीर्थ धाम में महानदी की त्रिवेणी संगम तट पर महापुरुष पूज्य पाद महाराज श्री की छत्रछाया में कथा सुनने को मिल जाए तो यह परम सौभाग्य की बात है! उन्होंने कहा कि दुनिया का ऐसा कौन वक्ता होगा ? जो नहीं चाहेगा कि भगवान शिवरीनारायण की चरणों में बैठकर उनकी ही कथा को उनके चरणों में निवेदित करें! आप लोग बहुत भाग्यशाली हैं जिन्हें ऐसे महनी सन्त की छत्रछाया प्राप्त हुई है। यह कथा धनबल, जनबल, बाहुबल, विद्याबल से प्राप्त नहीं हो सकती! यह तो भगवत कृपा से ही संभव है। आपके जन्म -जन्मांतर के पुण्य का उदय हुआ है इसलिए यहां बैठकर कथा सुनने का सौभाग्य आपको मिल रहा है। श्रीमद् भागवत महापुराण से पहले वेदव्यास जी ने 17 महापुराणों की रचना की लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुए जब उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण लिखा तब उनके मन को संतुष्टि मिली, वे परिपूर्ण हुए। भागवत महापुराण की रचना के पूर्व भी इसकी कथा इस संसार में विद्यमान थी, यह सनातन और पुरातन है। भगवान के स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकते हैं किंतु तात्विक दृष्टि से वह एक ही है। हमारे यहां युगल उपासना की जाती है, इसलिए सीताराम, लक्ष्मीनारायण, राधा-कृष्ण और गौरी शंकर की साथ-साथ पूजा करने का विधान है।




*द्वितीय सत्र की कथा श्रवण के लिए उपस्थित हुए विधानसभा अध्यक्ष*

शिवरीनारायण मठ महोत्सव के प्रथम दिवस कथा का रसपान करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत अपने चिरंजीव सूरज के साथ उपस्थित हुए। उन्होंने व्यासपीठ की पूजा अर्चना की और आशीर्वाद प्राप्त किया श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप लोगों के साथ कुछ पल, कुछ क्षण, एक घड़ी, आधी घड़ी जितना भी समय मिल जाता है वही हमारे लिए कल्याण का रास्ता तय करता है। व्यास पीठ पर विराजित स्वामी जी कह रहे थे कि जन्म से ही मृत्यु की रास्ता का शुरुआत हो जाती है, हम लोग भी उसी दौर से गुजर रहे हैं, परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि हमें उस लायक बनाए कि हम उनके चरणों में जा सके, यहां साक्षात भगवान राम, लक्ष्मण, जानकी एवं शबरी माता विराजमान है। हम आप लोगों को भी उन्हीं के रूप में देखते हैं। मंच पर विशेष रूप से बड़े महाराज श्री संत रामगोपाल दास जी महाराज सहित कांग्रेस के अनेक कार्यकर्ता पदाधिकारी गण एवं श्रद्धालु जन उपस्थित थे।




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