जगत के पालनहार भगवान शिवरीनारायण के दरबार में भागवत कथा 22 नवंबर से
*श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज का आगमन 21 नवंबर को*
संपूर्ण जगत के पालनहार भगवान श्री शिवरीनारायण की पावन धरा श्री शिवरीनारायण मठ में श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ तथा भव्य सन्त सम्मेलन 22 नवंबर से प्रारंभ होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार कथा का समय सुबह 9:00 से दोपहर 12:00 तथा अपरान्ह 3:00 से शाम 6:00 बजे तक निर्धारित है। श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा की रसधारा प्रवाहित करने के लिए श्रीधाम अयोध्या, उत्तर प्रदेश से अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य, श्री स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य जी महाराज 21 नवंबर को शिवरीनारायण पहुंचेंगे। वे 22 नवंबर से लेकर 28 नवंबर तक श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराएंगे। मार्गशीर्ष पंचमी तदनुसार दिनांक 28 नवंबर, दिन मंगलवार को विवाह पंचमी के अवसर पर श्री सीताराम विवाह महोत्सव शाम 4:00 बजे से धूमधाम से मनाया जाएगा। महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज पीठाधीश्वर श्री शिवरीनारायण मठ, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग मुख्य यजमान के रूप में मंच पर विराजित होंगे। श्री शिवरीनारायण मठ मंदिर न्यास के सभी ट्रस्टी, अधिकारी, कर्मचारी गण कार्यक्रम को भव्य स्वरूप प्रदान करने में लगे हुए हैं। उल्लेखनीय है राजेश्री महन्त जी महाराज ने आम जनता से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर हरि कथा का श्रवण कर जीवन धन्य बनाने की अपील की है। शिवरीनारायण मठ के प्रत्येक आयोजन में विशेषकर जांजगीर चांपा जिले एवं जिला बलौदा बाजार भाटापारा के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं कारण कि महानदी के एक तट पर जांजगीर-चांपा जिला बसा हुआ है तो दूसरे तट पर जिला भाटापारा बलोदा बाजार। इन दोनों ही जिले से ही नहीं अपितु संपूर्ण बिलासपुर एवं रायपुर संभाग में भगवान शिवरीनारायण के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा है, इसलिए लोग दूर-दूर से यहां कथा श्रवण एवं भगवान के दर्शन के लिए पधारते हैं, कार्यक्रम की भव्यता इतनी होती है कि लोग एक झलक प्राप्त करने के लिए पूरे वर्ष भर इंतजार करते हैं। कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण विगत दो वर्ष तक कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाने के कारण लोग बेहद उत्साहित और प्रतीक्षारत हैं! अखिल भारतीय स्तर पर शिवरीनारायण का अलग ही आध्यात्मिक महत्व है। इसे भारतवर्ष के चार धामों में से पांचवा गुप्त धाम के रूप में जाना जाता है, इसलिए लोग यहां भगवान की शरणागति प्राप्त करने के लिए सपरिवार पहुंचते हैं। भगवान जगन्नाथ जी का इसे मूल स्थान माना जाता है। देश के विभिन्न स्थानों से सन्त महात्माओं का आगमन यहां बड़ी संख्या में होती है।
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