माता जानकी का जन्मोत्सव श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है पूर्व मंत्री एवं विधायक सत्यनारायण शर्मा जी ने किया दर्शन श्री दूधाधारी मठ पहुंचकर
छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में स्थित श्री दूधाधारी मठ तथा इससे संबंधित श्री जैतू साव मठ, श्री शिवरीनारायण मठ तथा श्री राजीव लोचन मठ राजिम सहित प्रत्येक मठ मंदिरों में वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी को सीता नवमी के रूप में मनाया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता जानकी का जन्मोत्सव बड़े ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया जाता है। इस वर्ष भी भगवान का विशेष श्रृंगार करके विधि पूर्वक पूजा अर्चना की गई। इसमें मठ मंदिर के पुजारी गण, संत महात्मा, विद्यार्थी, कर्मचारी से लेकर आम श्रद्धालुओं ने भगवान का दर्शन करके पुण्य लाभ अर्जित किया।
श्री दूधाधारी मठ तथा श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि -माता जानकी और प्रभु श्री रामचंद्र जी में कोई अंतर नहीं है। ये दोनों एक ही तत्व के दो रूप हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने रामचरितमानस में इनको उपमा प्रदान करते हुए कहा कि -गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न। अर्थात वाणी और उसके अर्थ तथा जल और उसकी लहर कहने में तो अलग- अलग हैं लेकिन वास्तव में ये एक ही हैं। ठीक इसी तरह से माता जानकी और प्रभु श्री रामचंद्र जी कहने और देखने में अलग-अलग प्रतीत होते हैं किंतु ये एक ही हैं।
जिस तरह से भगवान राघवेंद्र सरकार के संदर्भ में रामचरितमानस में लिखा गया कि -संभु बिरंचि विष्नु भगवाना। उपजहिं जासु अंस तें नाना।। अर्थात जिसके अंश मात्र से अनेकों शंभू अर्थात शिव बिरंचि अर्थात ब्रह्मा और विष्णु की उत्पत्ति होती हैं, राघवेंद्र सरकार ऐसे परात्पर ब्रह्म हैं। ठीक इन्हीं की तरह श्री सीता जी के संदर्भ में गोस्वामी जी ने लिखा- जासु अंस उपजहिं गुन खानी। अगनित लच्छि उमा ब्रह्मानी।। अर्थात माता जानकी की अंश से अनेकानेक लक्ष्मी, उमा और सरस्वती का जन्म होता है। ये हमेशा भगवान रघुनाथ जी के बाम अंग में विराजित होती हैं। बाम भाग सोभति अनुकूला। आदिशक्ति छबि निधि जग मूला।। तथा ये रघुनाथ जी की इच्छा के अनुरूप कार्य करती हैं। गोस्वामी जी ने लिखा- श्रुति सेतु पालक राम तुम्ह, जगदीश माया जानकी। जो सृजति जगु पालति हरति, रुख पाइ कृपानिधान की।। राजेश्री महंत जी ने कहा कि माता जानकी भक्ति स्वरूपा है, ये जीव को भगवान की भक्ति प्रदान करती हैं- जनक सुता जग जननी जानकी। अतिसय प्रिय करुना निधान की।। ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपा निरमल मति पावउँ।। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धा भक्ति पूर्वक इनकी पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि सीता नवमी के अवसर पर पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा ने श्री दूधाधारी मठ पहुंचकर भगवान का दर्शन किया।
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